Thursday, 18 February 2021

नीँव

 


देखती हूँ

साइकिल पर लगी वह छोटी सीट

बुलंद इरादों की पहली नींव

 

सोचती हूँ

वह छोटी सीट ने कितने फरमान कसे होंगे

उन चेहरे की झुरियोँ ने कितने अरमान दफनाए होंगे

 

जरुरी है

उड़ान के लिए पंखों की परवाज

हासिल करने की ज़िद और फ़ौलादी आग़ाज़

 

आपकी अमृता

अठारह फ़रवरी दो हज़ार इकीस