Wednesday, 11 December 2013

शील-बट्टा


शाम के करीब छे बजे
ज़िंदगी की तेज रफ़्तार पकड़े 
दौड़ रही थी मैं भी 
साठ की स्पीड से!

अचानक नज़र पड़ गयी
सहसा एक अनोखी चीज़ पे

शील बट्टा!
अरे वाह! क्या बात है?

याद आ गये, बचपन के वो सुहाने दिन
दादी के घर का आँगन 
और पीतल के चमकते बर्तन

कोने में दाई ओर बैठी दादी,
कभी ताना कस्ती, कभी पंखा हानकति
वहाँ बाईं ओर रखा था 
शील बट्टा और लोडी
धनिया की हरी पत्ती
और माँ पीसती
आधे घंटे में वह हरी चटनी मिला करती थी
अपने तो हर दिन मज़े थे, पीसे कोई कुछ भी!

बड़ी भूक लगी थी, एक जाड़े की दोपहर
एक मुट्ठी चीनी चुराई थी, और बदले में दादी की एक लोडी खाई थी!

अरे उस दिन याद है,
शील बट्‍टे ने कितना संभला था
जब दादी ने फिर तुम्हे कुछ कहा सुनाया था!
सच कहना माँ, उस दिन गरम मसाले के साथ 
तुमने आपना सीना भी तो उसमें थूरा था

जो भी कह लो शील बट्‍टे के बहाने आँगन कितना सुहाना था
माँ तुम्हारे गरम मसाले ने तो घर का हर कोना गंमकाया था

स्वाद था खाने का और जीने का मस्त
शील बट्‍टे के साथ रिश्ते ज़बरदस्त!

मेरी साठ की स्पीड सत्तर में बदली
वो भी कोई ज़िंदगी थी मम्मी?
सोचा मन हीं मन मैने ...

देखो माँ, मैं हूँ तुमसे दस गूना बेहतर
तीस सेकेंड में पीस जाती है 
वाह! वाह! मेरी मिक्सर ग्राइंडर 
ना हाथ लहरते, ना आँखों में झांस लगती
सोचती हूँ फिर भी, यह बेहतर क्यूँ नहीं लगती

काश! तीस सेकेंड में मिक्सर तू मेरे सारे दुख ग्राइंड कर देती
सीने में जो धधकती है आग 
उसको धनिया के साथ हरी कर देती
बुझा देती

शील बट्‍टे ने ज़ोर से ठहाका लगाया और पलट कर कहा 
ये जंक फुड जेनरेशन!

" तीस सेकेंड में सिर्फ़ ईनो असर करती है
जीवन की हीना तीस सेकेंड में कहाँ रंग लाती है?
जीवन चटनी का असली मज़ा तो
झांस में है, लहर्न में

कुछ अलग रंग निखरता है,
बार-बार, तोड़ा तोड़ा गलने में

रफ़्तार में क्या रखा है पथिक,
मज़ा तो है आहिस्ते-आहिस्ते चलने में!

स्वाद है कुछ और, पीसने में, झलने में
स्वाद है जीवन का, शील बट्‍टे के साथ 
धीमे-धीमे घीसने में...
धीमे-धीमे थमने में और 
आहिस्ता-आहिस्ता निखारने में"

अमृता!





2 comments:

  1. Aapka likhne ka andaaz niraala hain, Har shabd moti
    Toh kavita beshkeemti maala hain

    Nacheez ki Hindi kamjor hain
    Angrezi medium ki padhaai hui, Rashtrabhasha
    Toh sirf television se hain seekhi

    Apartment mein hi pale-badhe
    Kisi ‘aangan’ mein kabhi kadam hi nahin pade
    Dadi ka pyar naseeb hone se raha
    Shuddh Hindi aapki samajhne se raha

    Karta agar yeh itne sab kamaal hain
    Toh ‘Sheel Batta’ kaya kisi naye gadget ka naam hain?

    ReplyDelete
  2. Wow! Nuts this is truly Amazing! Your understanding is Killing ;D

    ReplyDelete