Friday, 11 September 2020

घर का कैक्टस


 







कौन छुए

कौन गुथे

कौन देख देख

मन मन भरमाए

 

कौन रोपे

कौन सींचे

कौन गाहे

धीमे धीमे बतियाए

 

कौन आकर्षण

कौन आकर्षित

समय की अद्भुत सृष्टि

 

क्या अनुकूल

क्या प्रतिकूल

अकेले

एक कोने

जूझा

झेला

आँधी और

तीव्र गति

 

फिरभी … सदैव

अडिग

कठोर

ना हुआ

टस से मस

एकमात्र

घर का कैक्टस

 

आपकी अमृता

बारह सितम्बर दो हज़ार बीस

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