उलझन
हीं सुलझन है
विचलित
हीं स्थिरता
परिवर्तन हीं प्रगति है
प्रश्न
हीं उन्नति
भटकना
हीं दिशा है
तलाश
हीं प्राप्ति
विध्वंस
हीं उत्त्पत्ति है
बहिष्कार
हीं स्वीकृति
वस्तुस्थिति
में व्याकुलता आवश्यक है
भ्रम
से मुक्ति के लिए
उल्लंघन अनिवार्य है
नए नियम की स्थापना
के लिए
नए वर्तमान के निर्माण के
लिए
आपकी
अमृता
उन्नीस
सितम्बर दो हज़ार बीस
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