Saturday, 1 March 2025

यादें

 यादें 

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लम्बी काली रातों में सिरहाने तले 

ख़्वाब आँखें बुनते रहे 

ख़ामोश साँसों की पनाहों में 

रूह यादों की हिचकियाँ ले 

तुम्हारी उँगलियों में सिल दूँ मैं अपनी उँगलिया 

और छू लें आओ हम, फिर से ये 

गीला आसमान

दर्द बर्फ ना बन जाये

काश….

आज चाँद फिर पिघल जाये


अमृता


Source: https://peterryanart.com.au/product/dreams-can-travel-tonight-print/



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