कित-कित, छुआ-छुई
और खो खो खेले
लाली
संग उसकी तीन सहेली
खेतों
में खलिहानों में
रोज़
पेड़ चढ़ जाए
झूला
झूले
लाली
संग उसकी तीन सहेली
कुएं
पर गयी एक दिन
लाली
संग उसकी तीन सहेली
दो बित्ते की लाली उठाए
२० लीटर से भरी
बाल्टी
दौड़ते
कदम
धीमे
कर दे
पानी
से भरी
भारी भरकम बाल्टी
एक माँ हीं है
समझती
लाली
कम है बोलती
पिता
गए हैं शहर की
ओर
घर में लाली के
साथ दो बहनें और हैं
रहती
साँझ
को चूल्हा फूकते - फूकते
माँ
को खाँसी आ गयी जोरों
की
लाली
दौड़ी कुएं की ओर
जब देखी खाली पड़ी थी बाल्टी
पैरों
तले कंकड़ पड़े
कुछ
छोटे मोटे पत्थर भी
आज अकेले कुएं पर
पानी
भर्ती लाली
नज़र
फेरती यूँही पगडण्डी की ओर
लाली
देख कर चौंक गयी
अपनी
तीन सहेलियाँ
शायद
लौट रहीं थी
स्कूल
से वह अपने घर
लाली
ने ज़ोर से आवाज़
लगाई
बोली
दौड़ लगा तुम तीनो,
मैं अकेली हूँ
आजा
कुएं पर
लाली
की सहेलियों ने ईशारे से
कहा
अभी
नहीं, इतवार को मिलेंगे लाली
कुएं पर
लाली
मायूस हो,
लौटी
उठाये बाल्टी
मन हीं मन झुँझलाहट
और
आक्रोश
से भरी
फिर
क्रोध के ताप से
दीवार
पर दे मारी
एक साल पहले पिता
ने शहर से लायी
थी
लाली
के लिए लाल कलम
और
एक बोतल स्याही
माँ
घबराई चौखट पर आयी
लाली
जमीन पर गिरी पड़ी
थी
दीवार
पर सूखी थी स्याही
कल जो सुबह आएगी
नन्ही
नन्ही उँगिलयाँ
और कोमल मासूम हाथोँ
से
लाली क्या
उठाएगी?
कलम
सूखी स्याही से भरी
या बीस लीटर वाली
खाली बाल्टी??
आपकी
अमृता
बाईस
अगस्त दो हज़ार बीस
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