इस पार
एक पिता,
पीठ झुकी, चेहरे पर झूरी
माथे पर शिकन,
हाथ में कुछ कागज़ लिए
भाव भरी आँखों से
देखे ..
उस पार
उम्मीद,
प्रगति
इस पार
व्याकुलता, अनिश्चित्ता
वर्त्तमान की चिंता
उस पार
मुस्कुराता, सुनहरा सा
भविष्य पनपता
इस पार
धैर्य, संयम और
एक ढृढ़ संकल्प
उस पार
श्रुति, स्मृति
समय, स्थिति
दोनों ओर
निरन्तर
सृजन की शक्ति
आपकी अमृता
छब्बीस सितम्बर दो हज़ार बीस
Very deep....too good
ReplyDeleteWell written..writer friend..
ReplyDelete