Saturday, 18 July 2020

समाचार



समाचार

नन्ही नन्ही मासूम आँखों से
जब देखा करते थे समाचार
पहले मुख्य ख़बरें चार
फिर विस्तार से
प्रस्तुत होता था समाचार

ज्ञान विज्ञान
खेल कूद
मौसम एवं कुछ नियम निर्देश की बातें 
हर इतवार आया करता था
एक रोज़गार के लिए भी समाचार

आवाज अंदाज़, मिजाज लिहाज
सब कुछ था नपा तुला
आत्म संयम और व्यवहार
अनमोल सा संस्कारों वाला
वह सत्तर अस्सी के दसक का
समझाता सिखाता, भरोसा से भरा
रोज़ हिम्मत बढ़ाता समाचार

प्रेरणा वाली पत्रकारिता
गम्भीरता और स्थिरता
सुकून से सुना और देखा करते थे
नित्य रूप से सपरिवार समाचार

एक अद्भुत सा आकर्षण था
उस दौड़ के समाचार प्रवक्ता में
कुछ नाम आज भी याद हैं
शोभना जगदीश, शम्मी नारंग
सलमा सुलतान, शारदा महेश्वरीऔर 
गीतांजलि अय्यर वाला समाचार

हमेशा कहती रहती थी माँ
भाषा एक गूढ़ पहेली है
इसकी अपनी शैली है
अगर तुम्हें सीखने हैं इसके राज़
कागज़ कलम लेकर
अनुशाषन से
लिखा और सुना करो समाचार

तब मैं छोटी थी
पर आचरण का अर्थ समझती थी
शायद यही देखते सुनते
मेरी भाषा प्रेम को बढ़ाता समाचार

समय बदला
साथ हीं व्यवहार
तीन दशक की प्रगति देखिये
अब हर घंटे सुनते हैं पापा मेरे
ब्रेकिंग न्यूज़ से भरा समाचार

कल जब पापा कुछ घबराए कुछ चिंतित
फ़ोन पर सवाल पूछा किये
मैं झटक के जाने क्यों बोल गयी
पापा, मत देखा कीजिये
आप दिन भर समाचार

अभी कुछ घंटे हीं बीते थे इस बात को
की अचानक मेरी बेटी कहती है
मम्मा स्कूल का होम असाइनमेंट है
" मीडिया एंड इट्स रिस्पांसिबिलिटी "
कुछ चुभा शायद भीतर
मन व्याकुल भी हो उठा
कुछ ठहर कर मैंने जवाब दिया
चलो गूगल करते हैं
इस पर तपाक से मेरी बेटी बोल उठी
मम्मा, चलो देखेँ समाचार

मेरी व्याकुलता अब डर में परिवर्तित हो उठी
सहम कर कापतें हाथोँ से
सर्च करने लगी मैं
अपनी बेटी के लिए समाचार

शायद मेरी बेटी भी पकड़ लेती है
खामियां मेरी
सहसा कह उठी
ओह फोह मम्मा,
आपको तो मालूम हीं नहीं
कहाँ आता है समाचार

मैंने कहा चलो यह ठीक है
इस चैनल पे रुकते हैं
फिर तुरंत चैनल बदल कर
सोचा यह ज्यादा अच्छा है
फिर मन मार कर
एक और चैनल बदल लिया
गुस्सा हो गयी मेरी बेटी
कहती आप कितना कंफ्यूज हो मम्मा
मैंने यूँही धीरे से कहा कंफ्यूज नहीं बेटी
ढूंढ रही हूँ आपको दिखाने लायक
एक बेहतर समाचार

बेटी है मेरी अनगिनत सवालों से भरी
पूछ उठी
बस इतनी सी बात है
चलो बताओ कौन से चैनल पर
आता है वह समाचार

चुप हूँ, अब क्या कहूँ
बस नम आँखों से
शर्मशार हूँ
वंचित रह गया बचपन और जीवन बेटी
आपका समाचार के उस दौड़ से

तब रुकावट के लिए खेद हुआ करता था
अब नॉन स्टॉप, बेलगाम नीलाम होता
मोल भाव से भरा, मच्छी बाज़ार सा
उतेजित करता समाचार

आपकी अमृता
उन्नीस जुलाई दो हज़ार बीस


               



 



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