Saturday, 8 February 2025

सब्र

 ठन गई बहार की आज फिर धूप से 

रूठ गई रात फिर आरज़ू ओढ़ के 

मन रे मेरे धीर धर 

सब्र कर सब्र कर 


सूने जेवर रूखे तेवर 

पूछे आसमाँ मेरा, कहाँ छुपा है चाँद तेरा 

मन रे मेरे धीर धर 

सब्र कर सब्र कर

आपकी अमृता

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