ठन गई बहार की आज फिर धूप से
रूठ गई रात फिर आरज़ू ओढ़ के
मन रे मेरे धीर धर
सब्र कर सब्र कर
सूने जेवर रूखे तेवर
पूछे आसमाँ मेरा, कहाँ छुपा है चाँद तेरा
आपकी अमृता
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