दूरी एक डायरी सी लगती है
रोज़ कुछ लिख जाती है
कभी कोरा मिज़ाज
कभी ख़ामोश अल्फ़ाज़
यादों के हिज़ाब
और एक आदाब
अमृता
19 Jan 2025
No comments:
Post a Comment