क़िस्मत की अशर्फ़ियाँ
ख़ाली आँखें भेजे हज़ार अर्ज़ियाँ
फ़ुर्सत से लिखें, मुहब्बत भरी चिट्ठियाँ
जवाँ रातों में सुलगते साँसो का कारवाँ
धूप में पिघलते, बदन की बर्फीलियाँ
गुलज़ार नज़ारे, सात रंगों का शामियाँ
यादों की ख़ुशबू, मखमली क्यारियाँ
वक़्त के पाँव तले दबी- दबी खामोशियाँ
बच्चों के मुस्कान पर क़ुर्बान, क़िस्मत की अशर्फ़ियाँ
आपकी अमृता
11 जनवरी, 2025
No comments:
Post a Comment