मेरी प्यारी Massi!
सूरज जैसे चमकना
बादल बन जाना
और
हवाओं में ख़ुशबू बन कर
मंद मंद घुल जाना
कभी मन करे तो
नदी बन जाना
लहरों के साथ
बेफिक्र होकर
बिना वजह
बह जाना
जहाँ मन करे
फिर कभी, एक दिन यूँ करना
तुम,
पेड़ बन जाना
जड़ें ज़मीन में घुसा देना
और फलों में लद जाना
कभी हमारी याद आए तो
जाना रसोई घर
हम सब मिलेंगे
वहीं - कहीं
बरनी , छोलनी, कढ़ाई और हँड़िया में
मूढ़ी की कटोरी हाथ में लिए
कुएँ पर
फिर हँसेंगे
ठहाके मार कर
नानी के काठ की अलमारी से फिर दो मुठ्ठी बिकाज़ी भुजिया लेकर भाग जाएँगे
हमारे नन्हें पैर से छत पर ❤️
तुम्हारी अमृता
16/04/2024
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